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Madhya Pradesh

इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है

इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है

वर्तमान में संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में किसान भाइयों के लिए सुपर सीडर उपलब्ध है। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई सीडर खरीदते हैं, तो इस पर उन्हें 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। मध्य प्रदेश की राज्य सरकार किसान भाइयों की आमदनी में इजाफा करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं जारी कर रही है। इन योजनाओं के अंतर्गत किसान भाइयों की खेती करने की तकनीक वैज्ञानिक रूप धारण कर गई है। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश में कृषकों को कृषि यंत्रों पर अच्छा-खासा अनुदान भी दिया जा रहा है। परंतु, फिलहाल रीवा और सतना जनपद के किसानों के लिए काफी अच्छी खुशखबरी है। यहां के कृषकों को सुपर सीडर मशीन खरीदने के लिए अच्छा-खासा अनुदान प्रदान किया जा रहा है। 

सुपर सीडर किसानों के लिए काफी उपयोगी साबित होता है

मीडिया खबरों के अनुसार, सुपर सीडर एक ऐसा यंत्र है, जिसको ट्रैक्टर के साथ जोड़कर खेती-बाड़ी करने के कार्य में लिया जाता है। इस यंत्र का सर्वाधिक इस्तेमाल फसलों की बुवाई करने हेतु किया जाता है। इसके इस्तेमाल से नरवाई की दिक्कत परेशानी दूर हो चुकी है। अब ऐसी स्थिति में गेहूं एवं चने की खेती करने वाले कृषकों के लिए सुपर सीडर यंत्र बेहद उपयोगी साबित होता है। 

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सुपर सीडर के उपयोग से नरवाई जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि किसी फसल के डंठल को नरवाई कहा जाता है। सुपर सीडर धान एवं गेहूं की डंठल को छोटे- छोटे भागों में विभाजित कर मृदा में मिला देता है। अब ऐसी स्थिति में सुपर सीडर मशीन से फसलों की बिजाई करने वाले कृषकों को नरवाई को आग के जरिए जलाना नहीं पड़ता है। इससे प्रदूषण पर भी रोक लगती है। 

सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा

फिलहाल, संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में किसान भाइयों के लिए सुपर सीडर उपलब्ध हैं। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई सीडर खरीदेंगे तो 40 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा। मुख्य बात यह भी है, कि यह यंत्र एक घंटे में एक एकड़ भूमि में फैले नरवाई को चौपट कर देती है। इसके पश्चात फसलों की बिजाई करती है। धान के उपरांत गेहूं एवं गेंहू के बाग मूंग की खेती करने वाले कृषकों के लिए सुपर सीडर किसी वरदान से कम नहीं है। किसान भाई सुपर सीडर के माध्यम से वर्षभर में अच्छी-खासी आमदनी की जा सकती है। वैसे तो सुपर सीडर की कीमत लगभग 3 लाख रुपये है। परंतु, कृषि विभाग की तरफ से 40 प्रतिशत प्रतिशत अनुदान मिलने के पश्चात इसकी कीमत काफी हद तक कम हो जाती है।

टिड्डी दल नियंत्रण को यूपी में खुले कंट्रोल रूम

टिड्डी दल नियंत्रण को यूपी में खुले कंट्रोल रूम

उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में टिड्डी दल पहुंच चुका है, यह बहुत ही चिंताजनक है। प्रदेश सरकार टिड्डी दल पर नियंत्रण करने की पूरी कोशिश कर रही है। संबंधित अधिकारी को इसके रोकथाम के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। टिड्डी दल की रोकथाम के लिए सीमावर्ती जिले मथुरा,आगरा,झांसी ललितपुर आदि जनपदों के लिए 5 लाख रुपये और अन्य जनपदों के लिए 2 लाख की धनराशि दी गयी है। साथ ही सभी जिला अधिकारियों को कोषागार नियम 27 के अंतर्गत आवश्यकता अनुसार धनराशि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत नियमानुसार व्यय करने के निर्देश दे दिए गए हैं। 

टिड्डी दल पर नियंत्रण के दृष्टिगत प्रदेश स्तर पर एक कंट्रोल रूम की स्थापना कृषि निदेशालय की गई है। जिसका दूरभाषा 0522-2205867 है। किसान भाई सोमवार से रविवार प्रातः 8:00 बजे से रात 8:00 बजे तक दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। टिड्डी दल के प्रकोप से सुरक्षा हेतु जनपद एवं प्रदेश स्तर पर निरंतर निगरानी रखने के लिए आपदा राहत दल का गठन किया गया है।

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निदेशालय स्तर पर गठित आपदा राहत दल में कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) मुख्यालय अध्यक्ष, सहायक निदेशक (कृषि रक्षा) द्वितीय, सहायक निदेशक (कृषि रक्षा) प्रथम सदस्य है, जो प्रदेश स्तर पर टिड्डी दल के रोकथाम के लिए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे। साथ ही जिले स्तर पर गठित आपदा राहत दल में मुख्य विकास अधिकारी अध्यक्ष, उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी और कृषि रक्षा अधिकारी सदस्य है, जो टिड्डी दल के प्रकोप से सुरक्षा हेतु आवश्यक उपाय करने के साथ-साथ इसके रोकथाम के लिए समुचित कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे।

एमपी के सीएम शिवराज की समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी घोषणा की टाइमिंग पर सवाल

एमपी के सीएम शिवराज की समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी घोषणा की टाइमिंग पर सवाल

सीएम ने आखिरी दौर में की घोषणा, अब सर्वर डाउन

पहले ही उपज बेच चुके हैं कुछ किसान, चूक गए चौहान मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर मूंग की सरकारी खरीद शुरू करने का निर्णय लिया है। किसान हित में मुख्यमंत्री के इस निर्णय को देर से लिया गया फैसला बताया जा रहा है। मध्य प्रदेश में मूंग की खेती करने वाले किसानों के लिए समर्थन मूल्य पर उपज खरीदने के सरकारी निर्णय की जरूरी खबर आई तो जरूर है, लेकिन देरी से। गुड न्यूज ये भी है कि सरकार ने इस साल समर्थन मूल्य में आंशिक लेकिन वृद्धि जरूर की है।



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टाइमिंग पर सवाल -

भले ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह एक किसान समर्थित फैसला हो, लेकिन इसकी टाइमिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं। उन पर मूंग के समर्थन मूल्य की घोषणा के संदर्भ में चूक गए चौहान वाली कटूक्तियां की जा रहीं हैं।

उपज बेच चुके किसान -

किसानों का कहना है कि, मध्य प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदी करने में देर कर दी है। इस घोषणा एवं खरीदी संबंधी रजिस्ट्रेशन आदि की प्रक्रिया पूरी होने के पहले तक अधिकांश किसानों ने कृषि उपज मंडी में ओने-पोने दाम पर मूंग की अपनी उपज बेच दी है।



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प्रक्रिया इस बार -

मध्य प्रदेश में इस साल समर्थन मूल्य पर खरीदी करने का रजिस्ट्रेशन सिर्फ सहकारी सोसायटी के माध्यम से हो रहा है। ऐसी स्थिति में पंजीकरण का अन्य कोई विकल्प न होने से भी किसान असमंजस में हैं, कि वे किस तरह समर्थन मूल्य पर उपज का रजिस्ट्रेशन कराएं। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के बरेली आदि क्षेत्रों में ग्रीष्म कालीन सीजन में गेहूं, चना, कटाई के फौरन बाद मूंग की खेती शुरू कर दी जाती है। इस चक्र के अनुसार इस बार भी क्षेत्र के कृषकों ने लगभग 18 से 20 हजार हेक्टेयर भूमि में मूंग की बोवनी की थी।



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तंत्र की खामी -

इंटरनेट आधारित समर्थन मूल्य पर कृषि उपज के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया तंत्र की सबसे बड़ी समस्या सर्वर डाउन होने की है। किसानों ने जी तोड़ मेहनत कर मूंग उपजाई थी, लेकिन सरकारी खरीद नीति ने फिलहाल किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। कई जगहों पर सर्वर डाउन होने की वजह से पंजीयन नहीं हो पा रहे हैं। पंजीकरण सिर्फ सहकारी सोसायटी से होने के कारण दूसरा विकल्प न होने से भी किसान मूंग की उपज के पंजीकरण से वंचित हैं।



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इनको किया था दायरे में शामिल -

सरकार ने पूर्व में धान, गेहूं, चना आदि उपज के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा की थी, लेकिन सरकार के द्वारा हाल ही में मूंग की उपज को समर्थन मूल्य के दायरे में लाया गया।

पिछले माह के मुकाबले अंतर -

पिछले साल सरकार ने मूंग के बारे में 15 जून से समर्थन मूल्य की घोषणा की थी। इस साल सरकार ने 18 जुलाई से समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। हालांकि इस बार सरकार ने समर्थन मूल्य में 79 रुपए की वृद्धि की है।

समर्थन मूल्य तब और अब -

सरकार ने इस वर्ष मूंग का समर्थन मूल्य 79 रुपए बढ़ाकर 7275 रुपए तय किया है। पिछले साल मूंग का समर्थन मूल्य 7196 रुपए था। आंकड़ों के मान से इस बार बाडी क्षेत्र में 18 से 20 हजार हेक्टेयर भूमि में मूंग की बोवनी हुई।
जाने किस व्यवसाय के लिए मध्य प्रदेश सरकार दे रही है 10 लाख तक का लोन

जाने किस व्यवसाय के लिए मध्य प्रदेश सरकार दे रही है 10 लाख तक का लोन

हमारे देश में दूध की बहुत मांग है। अलग अलग तरह के डेयरी प्रोडक्ट्स भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। दूध को प्रोटीन और कैल्शियम का एक अच्छा सोर्स मानते हैं। इसी डिमांड का नतीजा है, कि आजकल बहुत सी जगह किसानों ने खेती के साथ-साथ पशुपालन का व्यवसाय अपनाना शुरू कर दिया है। इस काम में किसान इसलिए लगे हुए हैं। क्योंकि पशुपालन-डेयरी फार्मिंग से अतिरिक्त आमदनी हो ही जाती है। खेत के लिए खाद का इंतजाम भी हो जाता है। अब सरकार भी किसानों को इस काम में आर्थिक और तकनीकी सहयोग दे रही है। बहुत ही राज्य सरकार किसानों को इस व्यवसाय से जुड़ने के लिए जागरूक कर रही है। इसी पहल में मध्य प्रदेश सरकार भी आगे आई है। सरकार ने अपने राज्य में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए ऐसे किसानों को ₹1000000 लोन देने की एक स्कीम निकाली है। जो पशुपालन भी करते हैं, किसान बहुत ही आसान प्रक्रिया अपनाते हुए इस स्कीम के तहत लाभ उठा सकते हैं।

क्या है ये योजना

कुछ समय पहले ही मध्य प्रदेश राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ एक एमओयू (EOU) साइन किया है। इस एमओयू (EOU) का मकसद राज्य में दूध के उत्पादन को बढ़ाना है। सरकार ने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए ही राज्य के किसानों और पशुपालकों को किसी भी तरह का दुधारू पशु खरीदने के लिए 1000000 रुपए तक की लोन राशि देने की बात की है। पशुपालकों को यह लोन राशि देते समय सरकार किसी भी तरह की गारंटी नहीं मांग रही है। योजना के आधार पर समझ आता है, कि इस स्कीम से छोटे और मझोले किसानों को भी काफी लाभ होगा। ज्यादातर छोटे किसान साथ में पशुपालन करना चाहते हैं। क्योंकि उनकी खेती की जमीन उतनी ज्यादा नहीं होती है, कि वह उससे बहुत ज्यादा मुनाफा कमा सकें। साथ ही, धनराशि के अभाव में वह कुछ नया भी नहीं कर पाते हैं और इस आर्थिक रेस में बहुत पीछे रह जाते हैं। ऐसे ही किसानों को आर्थिक बल देने के लिए और राज्य में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।

कैसे कर सकते हैं लोन का भुगतान

एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बीच हुए इस एमओयू के अनुसार, किसान और पशुपालकों को 2 मवेशियों से लेकर, 4, 6 और 8 की संख्या में मवेशी खरीदने की छूट दी जाएगी। जिसके लिए वो अपने जिले में चिन्हित 3 से 4 बैंक की शाखाओं में लोन के लिए आवेदन कर पाएंगे। इस स्कीम के तहत दस लाख तक का मुद्रा लोन और ₹60000 तक का लोन मुद्रा लोन किसानों को दिया जाएगा। किसान इस मुद्रा की वदल में 10% तक की मार्जिन मनी जमा करवाते हैं। अच्छी बात यह है, कि लोन की रकम को चुकाने के लिए कैसा भी दवाब नहीं होगा। बल्कि किसान चाहें तो 36 किस्तों में लोन की रकम का भुगतान कर सकते हैं।

किन-किन चीजों के लिए मिलता है लोन

वैसे तो देश में पशुपालन और डेयरी फार्मिंग के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिससे किसानों और पशुपालकों को आर्थिक संबल मिला है। इन सबके अलावा भी सरकार द्वारा कई तरह की अन्य व्यवसाई योजनाओं के लिए फंड जारी किया जाता है। कई योजनाओं में आवेदन करने पर केंद्रीय पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी मंत्रालय से फंड जारी होता है। तो कुछ परियोजनाओं में नाबार्ड का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोग मिलता है।
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इस कड़ी में अब एमपी स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के साथ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी आगे आया है। एसबीआई की ओर से मिल्क कलेक्शन यूनिट के निर्माण से लेकर ऑटोमैटिक मिल्किंग मशीन, मिल्क कलेक्शन सिस्टम, मिल्क ट्रांसपोर्ट वैन आदि के लिए भी लोन दिया जाता है। इस तरह के लोन में हमेशा ही लोन की ब्याज दर भी नियम और शर्तों के आधार पर ही निर्धारित की जाती है। यह दरें ज्यादातर 10% से लेकर 24% तक होती हैं। इन योजनाओं में आवेदन करने के लिए अपने जिले के पशुपालन विज्ञान, कृषि विज्ञान केंद्र या पशु चिकित्सालय में भी संपर्क कर सकते हैं।
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग, 20 मार्च को होगा हल्लाबोल

स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग, 20 मार्च को होगा हल्लाबोल

जल्द से जल्द स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा ने हुंकार भर दी है. जिसे लेकर वो ससंद में 20 मार्च को घेराव करते हुए हल्ला बोलेगी. कई मुद्दों को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा ने 20 मार्च को संसद तक मार्च करने का ऐलान किया है. अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि, देश में कसानों की ऋण से जुड़ी शिकायतों को दूर करने के लिए राष्ट्रीय कृषि ऋणराहत आयोग का गठन किया जाए. आपको बता दें कि, एआईकेएस के राज्य अध्यक्ष ने जूलूस का नेतृत्व किया. यह जुलूस कासरगोड से लेकर त्रिशूर तक निकाला गया. इस दौरान ध्यक्ष जे. वेणुगोपालन नायर ने सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि, अच्छे दिन लाने के लिए कोई भी कदम सरकार की तरफ से नहीं उठाये जा रहे. देश के पीएम ने अपने एक साल पुराने वादों को अब तक पूरा नहीं किया. जो किसानों को धोखा देने के बराबर है. उन्होंने कहा कि, किसानों की मांग कृषि उपज के लिए एमएसपी की क़ानूनी गारंटी है. ज्यादातर किसान अपनी उपज को उत्पादन में लगाई हुई लागत से कम में बेचने को मजबूर हैं. जिस वजह से वो कर्ज के मकड़जाल में फंसते चले जा रहे हैं. इससे बचने और कर्ज से निपटने के लिए केंद्र सरकार से अखिल भारतीय किसान सभा ने ऋण राहत आयोग के गठन की मांग उठायी है. इसके अलावा उनका कहना है कि, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को भी लागू करना चाहिए. क्योंकि यह भी एक बेहद जरूरी मांग है. केंद्र सरकार पर किसान विरोधी नीतियों का आरोप लगाते हुए अन्य किसानों से भी इस विरोध में शामिल होने की बात कही.
यहां मिल रहीं मुफ्त में दो गाय या भैंस, सरकार उठाएगी 90 फीसद खर्च

यहां मिल रहीं मुफ्त में दो गाय या भैंस, सरकार उठाएगी 90 फीसद खर्च

पशु पालन को सबसे कामयाब और मजबूत आय का जरिया माना जाता है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में ये काफी कारगर है. इस बात से किसानों के साथ साथ सरकारें भी वाकिफ हैं. यही वजह है कि पशु पालन के चलते किसानों की आय को बढ़ाने की कोशिश लगातार की जा रही है. इसी तर्ज पर मध्य प्रदेश की सरकार भी जनजातीय समाज के बेरोजगारों के लिए पशु पालन से जोड़ने के लिए प्रयासरत है. जानकारी के मुताबिक बता दें कि, एमपी सरकार बैगा, भारिया और सहरिया समाज के बेरोजगारों को पशुपालन से जोड़ने का काम कर रही है. इस समाज के परिवारों को दो गाय या भैंस मुफ्त में दी जाएंगी. इन सबके अलावा पशुओँ को चारे से लेकर उनपर होने वाले सभी तरह के खर्च पर लगभग 90 फीसद तक का खर्चा सरकार करेगी.

जनजातीय समाज की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने का प्रयास

माना जा रहा है कि, मध्य प्रदेश की सरकार की इस योजना से पशु पालन व्यवसाय में काफी हद तक इजाफा होगा. साथ ही जनजातीय समाज के लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो सकेगा. वहीं मध्य प्रदेश में आवारा पशुओं की भी भरमार है, जिसमें कमी आएगी.

सरकार की तरफ से लोन सुविधा

MOU यानि की एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक राज्य के किसान भाइयों को दूध देने वाले पशुओं की खरीद पर सरकार 10 लाख रुपये तक का लोन दे रही है. किसानों को यह लोग मध्य प्रदेश कुछ चिन्हित बैंकों से ही मिल सकेगा. ये भी पढ़ें: जाने किस व्यवसाय के लिए मध्य प्रदेश सरकार दे रही है 10 लाख तक का लोन इस योजना के तहत आवेदन करने वाले लोग 2, 4, 6 और 8 दुधारू पशु खरीदने के लिए हर जिले के तीन से चार बैंक की शाखाओं पर लोन की सुविधा मिलेगी. जिसमें से 10 लाख रुपये तक नॉन कोलेट्रल मुद्रा लोन और 60 हजार रूपये का मुद्रा लोन शामिल किया गया है. लाभार्थी को इस लोन को लेने के लिए 10 फीसद का मार्जिन मनी जमा करनी होगी. साथ ही इस लोन को कुल 36 किस्तों में चुकाने की सहूलियत लाभार्तियों को मिलेगी.

जानिए क्या है पूरी योजना

  • मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने इस योजना की घोषणा अपने ट्वीटर हैंडल के जरिये दी है.
  • मुख्यमंत्री सिवराज सिंह चौहान की सरकार ने कहा कि. वो दो गाय या फिर दो भैंस मुफ्त में देगी.
  • इसके आलवा उनके पशुपाल पर होने वाले खर्चे का 90 फीसद भी सरकार की तरफ से दिया जाएगा.
  • मध्य प्रदेश सरकार का मानना है कि, पशु पालन में सरकारी मदद मिलने

से लोगों की आर्थिक स्थिति में काफी हद तक सुधार आएगा.

  • मध्य प्रदेश सरकार यह योजना राज्य के जनजातीय समाज के बेरोजगारों के लिए लेकर आई है.
  • यह योजना राज्य के बैगा, भारिया और सहरिया समाज के लिए लाई गयी है.
  • राज्य में आवारा पशुओं की संख्या में लगाम लग सकेगी.
  • राज्य में पशुपालन को बढ़ावा मिलेगा जिससे दूध का उत्पादन भी बढ़ेगा.
एमपी में जनजातीय समाज के लोगों की जनसंख्या एवरेज है. इस समाज की बेहतरी हो, यह सरकार भी चाहती है. जिसके लिए उन्हें इस व्यवसाय से जोड़ा जा रहा है. सहरिया, बैगा और भरिया समाज के ज्यादा से ज्यादा लोग इस व्यवसाय से जुड़े, ऐसी मंशा से सरकार परिवारों को दो भैंस या गाय मुफ्त में देगी. वहीं पशुओं पर आने वाले हर तरीके के खर्च का भी 90 फीसद हिस्सा सरकार के जिम्मे होगा. मध्य प्रदेश पशु पालन विभाग ने सरकार के इस फैसले की जानकारी अपमे ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल पर जारी की है.
अन्न के साथ किसान पैदा कर रहे ऊर्जा, बिना बिजली के खेतों तक पहुंच रहा पानी

अन्न के साथ किसान पैदा कर रहे ऊर्जा, बिना बिजली के खेतों तक पहुंच रहा पानी

क्या आप कभी ऐसा सोच सकते हैं, कि बिना बिजली कनेक्शन के खेतों तक पानी पहुंच जाए? जाहिर है, कि ये बात हर किसी को नामुमकिन लगेगी. आपको बता दें किसानों ने इसी नामुकिन सी बात को मुमकिन कर दिखाया है. आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश में एक विकासशील राज्य है. लेकिन वहन अभी भी इसे कई कृषि क्षेत्र हैं, जहां पर बिजली का कनेक्शन नहीं पहुंचा है. ऐसी स्थिति में कृषि क्षेत्रों के लिए एमपी सरकार की सोलर पंप योजना को काफी ज्यादा पसंद की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य में 20 हजार 6 सौ से ज्यादा सोलर पंप क्षेत्रों में स्थापित किये गये हैं. जिसके बाद एमपी के किसान सिर्फ अन्न ही नहीं बल्कि खेतों में उर्जा भी पैदा कर रहे हैं.

एमपी सरकार ने शुरू की योजना

मध्य प्रदेश की सिवराज सिंह चौहान की सरकार ने किसानों के लिए एक बड़ी योजन की शुरुआत की है. इस योजना के तहत
किसानों के लिए सोलर पंप की सौगात दी है. सरकार की इस योजना के पीछे सिर्फ एक ही उद्देश्य है, कि किसान भाई बिजली कनेक्शन के बिना अपने खेतों की फसलों में सिंचाई कर सकें. बिजली की समस्या से राज्य के कई ग्रामीण क्षेत्र के किसान परेशान हैं. बिजली ही एक मात्र ऐसा जरिया है, जिससे खेतों में पानी पहुंचाया जा सके. किसानों की इस समस्या को देखते हुए, सरकार ने नई योजना शुरू करके किसानों के लिए एक विकल्प तैयार कर दिया है. जिससे किसान खेतों में सोलर पंप की मदद सिंचाई करने का फायदा उठा रहे हैं.

बदल गयी सोलर पंप से तक़दीर

राज्य सरकार के मुताबिक 20 हजार 6 सौ से ज्यादा सोलर पंप खेतों में लगाये जा चुके हैं. वहीं सरकार का लक्ष्य 60 हजार सोलर पंप लगाने का है. सबसे अहम बात यह है कि, इस योजना का फायदा उन किसानों को सबसे ज्यादा मिल रहा है, जिनके नदी, तालाब, नलकूप या फिर अन्य स्रोत में पानी था, लेकिन उस पानी का इस्तेमाल करने के लिए बिजली नहीं मिल पा रही थी. जो भी किसान भाई सरकार की सोलर पंप वाली योजना का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड भोपाल में अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा. रजिस्ट्रेशन के लिए 5 हजार रुपये की धनराशी निर्धारित की गयी है. ऐसे में अगर किसी किसान का रजिस्ट्रेशन रिजेक्ट होता है, तब किसान को पूरा अमाउंट लौटा दिया जाएगा.

सरकार देगी अनुदान

सोलर पंप के लिए सरकार की ओर से किसानों को अनुदान दिया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक एचपी डीसी समर्सिबल पंप के लिए किसानों को सिर्फ 19 हजार रूपये देने होंगे. जिसके माध्यम से उन्हें करीब 30 हजार का फायदा दिया जाएगा. बात दो एचपी डीसी सरफेस की करें तो, उसके लिए किसान को 23 हजार रुपये देने होंगे. दो एचपी डीसी समर्सिबल के लिए सिर्फ 25 हजार रुपये में किसान को सोलर पंप की सुविधा मिलेगी.

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तीन एचपी के लिए 36 हजार और 5 एचपी के लिए 72 हजार, तो वहीं 7.5 एचपी के लिए एक लाख 35 हजार रुपयों का भुगतान किसानों को करना होगा.

इस योजना के लिए पात्रता

  • मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना की पात्रता के लिए किसान आवेदक को एमपी का स्थाई निवासी होना जरूरी है.
  • आवेदक के पास किसान कार्ड भी होना जरूरी है.
  • आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, खेती योग्य जमीन के कागज, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज़ की फोटो के साथ आवेदक का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.
  • एमपी के किसी भी क्षेत्र का किसान क्यों ना हो, वो मुख्यमंत्री किसान सोलर पंप योजना के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकता है.

इन नियमों का जानना जरूरी, वरना नहीं मिलेगा सोलर पंप

  • आवेदक किसान सोलर पंप का इस्तेमाल सिर्फ सिंचाई के लिए ही कर सकता है.
  • सोलर पंप से निकले पानी को बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता.
  • मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम से सोलर पंप की स्थापना के लिए सहमती लेनी जरूरी होगी.
  • जहां पर बिजली कनेक्शन नहीं है, यह योजना सिर्फ उन्हीं किसानों के लिए बनाई गयी है.
बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि ने एमपी और राजस्थान के किसानों की फसलें करदीं तबाह

बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि ने एमपी और राजस्थान के किसानों की फसलें करदीं तबाह

मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में आकस्मिक रूप से आई बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि की वजह से रायडा, तारामीरा, ईसबगोल और जीरा जैसी फसलें नष्ट हो गई हैं। होली पर्व के तुरंत उपरांत फसलों की कटाई होनी थी। इस बार किसान भाई बेहतर आमदनी की आस में बैठे थे। वर्षा और ओलावृष्टि की वजह से किसानों के समूचे अरमानों पर पानी फिर गया है। बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि की वजह से राजस्थान के किसानों को बेहद हानि का सामना करना पड़ा है। जालौर एवं बाड़मेर जनपद में बेहद कृषि रकबे में फसलों पर इसका प्रभाव देखने को मिला है। आकस्मिक आन पड़ी इस विपत्ति से निराश किसानों द्वारा केंद्र सरकार से समुचित आर्थिक मदद देकर हानि की भरपाई करने की मांग व्यक्त की है।

इतने अरब रुपये की फसल हुई तबाह

जालौर कृषि विभाग के उपनिदेशक आरबी सिंह का कहना है कि यहां सर्वाधिक इसबगोल की फसल को हानि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, इसबगोल की फसल 80 फीसद तक तबाह हो गई है। साथ ही, अरण्डी, तारामीरा, जीरा, सरसों, गेंहू की 30 फीसद फसल नष्ट हो गई है। दावे के अनुसार जनपद में 35600 हेक्टेयर में खड़ी 2.13 अरब रुपये की फसल खराब हो गई है। किसानों के समक्ष आजीविका की समस्या उत्पन्न हो गई है। ऐसे वक्त में जालोर के सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष सुनील साहू द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर समुचित आर्थिक सहायता की मांग की है। साथ ही, बाड़मेर जनपद मुख्यालय के समीप के गांवों सहित गुड़ामालानी, सेड़वा, धोरीमन्ना, चौहटन, बायतु में बारिश एवं ओलावृष्टि से दर्जनों गांवों में किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं हैं। होली के पावन पर्व के तुरंत बाद फसलों की कटाई जरूरी थी। किसान अच्छी आय की उम्मीद लगाए इंतजार में थे। लेकिन, बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि की वजह से किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है।

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मध्य प्रदेश में भी बेमौसम बारिश बनी किसानों की मुसीबत

किसान वैसे ही कई सारी चुनौतियों से जूझते रहते हैं। वहीं, अब बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि की वजह से मध्य प्रदेश के किसानों के समक्ष भी संकट पैदा हो गया है। खेतों में खड़ी लहलहाती फसल ओलावृष्टि की वजह से मुरझा सी गई है। विभिन्न स्थानों पर फसल 80 फीसदी तक बर्बाद हो गई है। भोपाल से चिपके खजूरी कलां गांव में असमय वर्षा के चलते किसानों की गेहूं की फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है। पीड़ित किसान फिलहाल फसल मुआवजा और फसल बीमा पर आश्रित हैं। सरकार से यही मांग की जा रही है, कि शीघ्र ही उन्हें न्यूनतम लागत के खर्च की धनराशि प्राप्त हो जाए। किसानों भाइयों का यह दर्द एमपी के विभिन्न जनपदों से भी सामने आ रहे हैं। मालवा, विदिशा एवं आगर की भी यही स्थिति है।
यह राज्य सरकार किसानों को मुफ़्त में दे रही है गाय और भैंस

यह राज्य सरकार किसानों को मुफ़्त में दे रही है गाय और भैंस

सरकार देश के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार समय-समय पर किसानों के लिए नई योजनाएं लॉन्च करती रहती है, जिनसे बड़ी संख्या में किसान लाभान्वित हो रहे हैं। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश की सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए प्रदेश के जनजातीय किसानों को पशुपालन से जोड़ने का बेड़ा उठाया है। सरकार का मानना है कि इस पहल से प्रदेश में बेरोजगारी कम होगी और जनजातीय युवाओं को रोजगार भी मिल सकेगा। प्रदेश सरकार की नई स्कीम के तहत  बैगा, भारिया और सहरिया समाज के लोगों को पशुपालन से जोड़ा जाएगा। इसके लिए सरकार गाय या भैंस मुफ़्त में देगी। सरकारी अधिकारियों ने बताया है कि इस स्कीम के तहत 1500 गायें-भैंसें किसानों को दी जाएंगी। जिनका 90 प्रतिशत खर्च सरकार वहन करेगी। सरकारी अधिकारियों ने बताया है कि प्रदेश सरकार ने साल 2022 से लेकर साल 2024 तक 1500 दुधारू पशु वितरित करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए 29 करोड़ 18 लाख रुपये राशि को भी स्वीकृत कर दिया गया है। इसमें से प्रत्येक गाय को खरीदने के लिए एक लाख 89 हजार 250 रुपये की राशि निर्धारित की गई है, जबकि भैंस खरीदने के लिए  2 लाख 43 हजार रुपये की राशि निर्धारित की गई है। गाय क्रय करने में 70 हजार 325 रुपये सरकार की तरफ से दिए जाएंगे जबकि शेष 18 हजार 925 रुपये खुद किसान को देने होंगे। इसी तरह भैंस की खरीदी में 2 लाख 18 हजार 700 रुपये सरकार की तरफ से दिए जाएंगे जबकि बकाया 24 हजार 300 रुपये की राशि को हितग्राही को खुद वहन करना होगा। ये भी पढ़े: अब खास तकनीक से पैदा करवाई जाएंगी केवल मादा भैंसें और बढ़ेगा दुग्ध उत्पादन एमपी स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के अधिकारियों ने बताया है कि सरकार इस फैसले से राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ाना चाह रही रही है। कुछ महीनों पहले ही एमपी स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने एक एमओयू साइन किया था जिसके मुताबिक अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया प्रदेश में दुधारू पशुओं को खरीदने के लिए 10 लाख रुपये तक का लोन बिना किसी गारंटी के प्रदान करेगा। इसके लिए हर जिले में बैंक की 3 से 4 शखाओं का चयन किया गया है जो किसानों को लोन उपलब्ध करवाएंगी। इस राशि से किसान 2 से लेकर 8 दुधारू पशु तक खरीद सकते हैं। सरकार का मानना है कि इस पहल से राज्य में दुग्ध उत्पादन में बढ़ावा होगा, साथ ही किसानों की भी आय तेजी से बढ़ेगी।
किसानों  के लिए इस राज्य सरकार की बड़ी घोषणाएं, फसलों के नुकसान पर मिलेगा इतना मुआवजा

किसानों के लिए इस राज्य सरकार की बड़ी घोषणाएं, फसलों के नुकसान पर मिलेगा इतना मुआवजा

पिछले 2 सप्ताह में मध्य प्रदेश में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने जमकर कहर ढाया है। इस दौरान राज्य में गेहूं, चना, सरसों और मसूर की खेती बुरी तरह से प्रभावित हुई है। ओलावृष्टि के कारण गेहूं की फसल खेतों में पूरी तरह से बिछ गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। पिछले सप्ताह ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए सर्वे के आदेश दिए थे। यह सर्वे पूरा हो चुका है और इसकी विस्तृत रिपोर्ट मध्य प्रदेश शासन को भेजी जा चुकी है। रिपोर्ट के आधार पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि सरकार 50 फीसदी तक बर्बाद हुई फसल पर 32 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा प्रदान करेगी। इसके अलावा किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ भी दिलवाया जाएगा। साथ ही फसलों को हुए नुकसान का सैटेलाइट से सर्वे भी करवाया जाएगा। जिसमें सरकार के तीन विभाग संयुक्त रूप से फसल के सर्वे का काम करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा है कि ओलावृष्टि से जिन किसानों की फसलों का व्यापक नुकसान हुआ है, उनसे फिलहाल कर्ज की वसूली नहीं की जाएगी। साथ ही अब कर्ज का ब्याज सरकार भरेगी। इस दौरान यदि किसी व्यक्ति की ओलावृष्टि या बिजली गिरने से मौत हो गई है तो उसके परिजनों को सरकार 4 लाख रुपये की सरकारी सहायता उपलब्ध करवाएगी।

गाय-भैंस की मृत्यु पर भी मिलेगी सहायता राशि

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि फसल के नुकसान के अलावा यदि आपदा के दौरान किसी की गाय या भैंस की मृत्यु हो गई है तो ऐसे लोगों को 37 हजार रुपये प्रति जानवर की दर से सहायता राशि उपलब्ध कारवाई जाएगी। इसके साथ ही भेड़-बकरी की मृत्यु पर 4 हजार रुपये तथा बछड़ा और बछिया की मृत्यु पर 20 हजार रुपये दिए जाएंगे। मुर्गा और मुर्गियों का नुकसान होने पर 100-100 रुपये दिए जाएंगे। यदि आपदा से किसी के घर को नुकसान हुआ है तो उसके घर की मरम्मत के लिए भी सहायता उपलब्ध कारवाई जाएगी। ये भी पढ़े: यहां मिल रहीं मुफ्त में दो गाय या भैंस, सरकार उठाएगी 90 फीसद खर्च

रबी फसल के लिए दोबारा रजिस्ट्रेशन करवा पाएंगे किसान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि ऐसे किसान जिनकी फसल बर्बाद हो गई है और उनके घर में उनकी बेटी की शादी है। ऐसे किसानों को सरकार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत 56 हजार रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करवाएगी। साथ ही कन्या के विवाह में भी सहयोग करेगी। इसके साथ ही जो किसान रबी की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाए हैं, ऐसे किसान फिर से अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। उनके लिए दोबारा पोर्टल खुलवाया जाएगा। ताकि कोई भी किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ से छूटने न पाए।
इस राज्य में बारिश और ओलावृष्टि से ग्रसित किसानों को मिलेगी 15 हजार रूपए एकड़ के हिसाब से सहायक धनराशि

इस राज्य में बारिश और ओलावृष्टि से ग्रसित किसानों को मिलेगी 15 हजार रूपए एकड़ के हिसाब से सहायक धनराशि

पंजाब राज्य में बेमौसम बारिश होने की वजह से सर्वाधिक हानि गेहूं की फसल को हुई है। अब ऐसी स्थिति में यहां के किसान भाइयों को प्राकृतिक आपदा से संरक्षण देने के लिए शीघ्र ही सरकार की ओर से फसल बीमा योजना जारी की जाएगी। पंजाब में अचानक बारिश और ओलावृष्टि से लाखों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल चौपट हो गई है। जिसकी वजह से किसानों को प्रचंड आर्थिक हानि पहुंची है। परंतु, इसी कड़ी में राज्य के किसानों हेतु एक राहत भरा समाचार सुनने को मिला है। मुख्यमंत्री भगवंत मान जी ने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त हुई फसल को लेकर बड़ी घोषणा की है। उन्होंने बताया है, कि जिन किसानों की फसल वर्षा और ओलावृष्टि से नष्ट हुई है, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार, निरंतर आ रही फसल बर्बादी के समाचारों के मध्य सीएम मान ने रविवार को वर्षा से प्रभावित हुए जनपदों का दौरा किया। मुख्यमंत्री भगवंत मान जी ने बठिंडा, पटियाला, मुक्तसर और मोगा जनपद में जाकर प्रभावित किसानों का हाल चाल जाना। विशेष बात यह है, कि इन चारों जनपदों में ही सर्वाधिक गेहूं की फसल को हानि पहुंची है। बहुत सारे जनपदों में तो 70 प्रतिशत से भी अधिक फसलों की तबाही हुई है। बारिश सहित तीव्र हवा चलने की वजह से गेहूं की फसल खेत में गिर पड़ी है। फिलहाल, किसानों को इस गिरी हुई गेंहू की फसल की कटाई करने में बेहद परेशानी होगी।

किसानों की हजारों एकड़ फसल हुई बर्बाद

सीएम मान ने मीडिया के माध्यम से बताया है, कि बेमौसम बारिश से राज्य के किसानों को बेहद हानि हुई है। ऐसे में वे किसानों के दर्द को भली भाँति समझ सकते हैं। उन्होंने कहा है, कि निरीक्षण के उपरांत आई प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चलता है, कि हजारों एकड़ में लगी फसल नष्ट हुई है। ये भी पढ़े: सर्दी में पाला, शीतलहर व ओलावृष्टि से ऐसे बचाएं गेहूं की फसल

घर के हानि होने की स्थिति में 95,100 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बताया है, कि जिन किसानों की 75 फीसद फसल नष्ट हो चुकी है। उन किसानों को 15 हजार रुपयए प्रति एकड़ के भाव से सहायता धनराशि दी जाएगी। साथ ही, जिन किसान भाइयों की फसल में हानि 33 से 75 प्रतिशत के मध्य हुई है, उनको 6750 रुपये प्रति एकड़ के भाव से सहायता धनराशि प्रदान की जाएगी। साथ ही, मजदूरों को घर के नुकसान होने पर 95,100 रुपये की सहायक धनराशि प्रदान की जाएगी।

केंद्र सरकार द्वारा जारी फसल बीमा योजना कागजों तक ही सीमित : भगवंत मान

बतादें, कि पंजाब राज्य में बेमौसम बारिश की वजह से सर्वाधिक गेहूं की फसल को हानि हुई है। अब ऐसी स्थिति में यहां के किसान भाइयों को प्राकृतिक आपदा से संरक्षण देने के लिए अतिशीघ्र ही सरकार के माध्यम से फसल बीमा योजना चालू की जाएगी। सीएम मान के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा चल रही फसल बीमा योजना से किसानों को कोई भी फायदा नहीं होने वाला है। वह केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है। यही कारण है, कि पंजाब सरकार के लिए किसानों और मजदूरों का विकास पहली प्राथमिकता है।
इस राज्य सरकार ने किसानों के हित में जारी किया बलराम ऐप, कृषि क्षेत्र को मिलेगी नई दिशा

इस राज्य सरकार ने किसानों के हित में जारी किया बलराम ऐप, कृषि क्षेत्र को मिलेगी नई दिशा

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए राज्य सरकार की तरफ से एक बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार की तरफ से बलराम एप जारी किया है। किसानों को कृषि विशेषज्ञों, भूमि की उर्वरकता की सलाह के साथ बाकी जानकारियां भी हांसिल हो पाएंगी। जैसा कि हम सब जानते हैं, कि भारत का कृषि क्षेत्र निरंतर रूप से प्रगति कर रहा है। केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार किसानों के डिजीटलीकरण पर विशेष जोर दे रही है। किसानों को ऑनलाइन सिस्टम के साथ जोड़ने की मुहिम चल रही है। दरअसल, पीएम किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजनाओं की भांति विभिन्न योजनाओं का ऑनलाइन माध्यम से संचालन हो रहा है। किसान स्वयं अपने दस्तावेज अपडेट भी करा रहे हैं। वर्तमान में एक और राज्य की तरफ से ऐसी ही एक पहल की गई है। प्रदेश सरकार की तरफ से ऐसा ही ऐप जारी किया गया है। यह ऐप खेती-बाड़ी में किसान भाइयों की काफी सहायता करेगा।

मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के हित मेें बलराम ऐप जारी किया है

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को डिजीटल करने की बड़ी पहल की गई है। मध्य प्रदेश ने एक खास प्रकार का मोबाइल ऐप जारी किया है। इस ऐप में टू वे कम्यूनिकेशन फीचर्स हैं। यह ऐप किसानों को कृषि संबंधित जानकारी मुहैय्या कराता है। साथ ही, कृषि विशेषज्ञों के साथ संपर्क बढ़ाना भी उद्देश्य है। यह भी पढ़ें : इस राज्य सरकार ने आल इन वन तरह का कृषि ऐप जारी कर किसानों का किया फायदा

बलराम ऐप की क्या खासियत है

बलराम ऐप को विशेष रूप से किसानों को मिलने वाली प्रत्येक सुविधा को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। मीडिया खबरों के मुताबिक, इंडो जर्मन तकनीक के कंबाइन प्रोजेक्ट के अंतर्गत जारी बलराम ऐप के संचालन की जिम्मेदारी जवाहर लाल नेहरू कृषि यूनिवर्सिटी को सौंपी गई है। जो भी किसान अपनी जमीन या खेत की मृदा की सेहत के विषय में जानना चाहता है। यह ऐप उन किसानों के लिए अत्यंत सहयोगी है। इस ऐप की सहायता से कृषि एडवाइजरी प्राप्त हो जाएगी और ऐप पर कृषि विशेषज्ञों द्वारा अपने सुझाव भी दिए जाएंगे। इस ऐप को हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपयोग किया जा सकता है। किसान अपनी इच्छा के मुताबिक हिंदी अथवा अंग्रेजी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

मध्य प्रदेश के 10 जनपदों में बलराम ऐप जारी किया गया है

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस ऐप को राज्य के 10 जनपदों में जारी कर दिया गया है। यह खरीफ सीजन में कृषकों को काफी सहायता प्रदान करेगा। छतरपुर, जबलपुर, सागर, शहडोल, दमोह, बालाघाट, मंडला, सिंगरौली, रीवा और कटनी के अंदर प्रथम चरण में जारी किया गया है। ऐप में जिला स्तरीय, पंचायत स्तरीय, ब्लॉक स्तरीय जानकारी मुहैय्या कराई जाएगी। इस एप्लीकेशन से किसानों को राज्य, जिला, विकासखंड के अतिरिक्त ब्लॉक स्तर की कृषि संबंधित जानकारियां उपलब्ध की जाएंगी। राज्य सरकार के अधिकारियों के कहने के मुताबिक, पहले चरण में 25 हजार किसानों को इस ऐप से जोड़ा जाएगा।